बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद से आरजेडी (RJD) के अंदरूनी मतभेद और पारिवारिक कलह पूरी तरह सामने आ चुके हैं। महागठबंधन की हार ने सिर्फ बीजेपी-एनडीए की जीत नहीं तय की, बल्कि लालू यादव की पार्टी और परिवार में एक नए स्तर की बेचैनी और तकरार को जन्म दिया है।
हालिया घटनाक्रम की केंद्र बिंदु बनी है लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य — जिन्होंने सोशल मीडिया पर एक बड़ा ऐलान किया, आरोप लगाए और परिवार से नाता तोड़ने की बात कही। इस पूरे विवाद में, लालू के बेटे तेज प्रताप यादव ने भी अपनी बुहत ही असरदार और भावुक प्रतिक्रिया दी है, जिससे राजनीतिक और पारिवारिक दोनों ही स्तरों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
1. RJD में क्यों गहराती जा रही है दरार?
RJD परिसर पहले से ही संकट में था, लेकिन चुनाव परिणाम ने उस तनाव को और बढ़ा दिया है। AajTak की रिपोर्ट के अनुसार, रोहिणी आचार्य ने चुनाव नतीजों के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यह घोषणा की कि वे राजनीति छोड़ रही हैं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हैं।
उन्होंने अपने पोस्ट में विशेष रूप से संजय यादव और रमीज़ नेमत का नाम लिया है और आरोप लगाया कि उन्हें उनकी बातों और परिवार में उनकी स्थिति को लेकर marginalize किया गया है।
यह मुद्दा सिर्फ एक “पर्सनल ड्रामा” नहीं रह गया, बल्कि बिहार की राजनीति में RJD की एकजुटता और नेतृत्व के सवालों को फिर से ताजा कर दिया है।
2. तेज प्रताप यादव की प्रतिक्रिया: भावनात्मक और कड़ा बयान
तेज प्रताप यादव ने अपनी बहन रोहिणी के समर्थन में एक बेहद भावुक और शक्तिशाली सोशल मीडिया पोस्ट साझा किया है, जिसमें उन्होंने अपने शब्दों के जरिए यह साफ किया कि परिवार और RJD में चल रही कलह उनके लिए सिर्फ राजनीतिक विवाद नहीं, **गहरे जख्म और अपमान का मासूम बिंदु** है।
उनकी बातें इस प्रकार हैं (संक्षेप में):
- “जबसे मेरी रोहिणी बहन के चप्पल उठाने की खबर सुनी, दिल की आहत अब अग्नि बन चुकी है।”
- उन्होंने चेतावनी दी कि यह “अन्याय” न सिर्फ व्यक्तिगत है, बल्कि सार्वजनिक स्तर पर RJD की प्रतिष्ठा को भी चुनौती दे रहा है। :
- तेज प्रताप ने अपने पिता लालू यादव से अपील की, कहा कि अगर वे “एक संकेत” दें, तो जनता उन लोगों को “जमीन में गाड़” देगी जो उनका (परिवार का) अपमान कर रहे हैं।
- उन्होंने “जयचंद” की शब्दावली का प्रयोग कर उन लोगों को नाम न लेते हुए हमला किया, जिनके वे परिवार और पार्टी में गुटबाजी का हिस्सा मानते हैं।
यह बयान सिर्फ एक गुस्से का इजहार नहीं है; यह साफ इशारा है कि तेज प्रताप इस संघर्ष को सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी लड़ने की तैयारी में है।
3. रोहिणी आचार्य के आरोप: क्या कहा था उन्होंने?
रोहिणी आचार्य ने अपनी सोशल मीडिया (X) पोस्ट में बहुत ही निर्णायक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए यह कहा कि वे राजनीति छोड़ रही हैं क्योंकि उन्हें “परिवार और पार्टी दोनों की तरफ से ऐसा व्यवहार झेलना पड़ा” जो स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने विशेष रूप से उन लोगों का नाम लिया जो, उनके अनुसार, पार्टी और परिवार में हावी हो गए हैं — और जिन्होंने उन्हें marginalize किया।
उन्हें रोहिणी ने **संजय यादव** और **रमीज़ नेमत** का नाम देते हुए आरोप लगाया।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वह “सारा दोष अपने ऊपर ले रही हैं” ताकि विवाद खत्म किया जा सके।
4. लालू-परिवार का राजनीतिक इतिहास: यह पहली दरार नहीं
लालू परिवार और RJD में कलह कोई नई बात नहीं है। तेज प्रताप और तेजस्वी यादव के बीच पुराने झगड़े लंबे समय से सुर्खियों में रहे हैं।
इतना ही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि पहले से ही मीसा भारती और तेज प्रताप दोनों ने संजय यादव को “जयचंद” कहकर निशाना बनाया था — यह इंगित करता है कि पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी गहराई में है।
रोहिणी का बगावत करने का कदम इस सिलसिले की अगली कड़ी है — जो पारिवारिक संबंधों की जटिलता और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीच फंसा हुआ है।
5. तेजस्वी यादव का रिएक्शन: चुप्पी, या रणनीति?
अब तक तेजस्वी यादव की ओर से इस विवाद पर कोई बहुत बड़ा सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, कम से कम मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी कोई स्पष्ट बयानबाज़ी नहीं दिखी है।
कुछ विश्लेषक यह मानते हैं कि यह उनकी रणनीति हो सकती है — चुप्पी के जरिए परिवार के विवाद को और अधिक सार्वजनिक ड्रामा बनाने से बचना। वहीं अन्य का मानना है कि तेजस्वी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे होंगे और अंदरूनी कूटनीति में आगे की चाल सोच रहे होंगे।
6. यह कलह सिर्फ पारिवारिक नहीं — राजनीतिक मायने भी हैं
यह विवाद सिर्फ परिवार का झगड़ा नहीं है, बल्कि RJD की राजनीतिक छवि, उसकी एकजुटता और अगले विधानसभा चुनाव में उसकी ताकत पर भी असर डाल सकता है:
- पार्टी की छवि: RJD हमेशा सामाजिक न्याय और परिवार-पारंपरिक मूल्यों का चेहरा रही है। इस विवाद से जनता के आंखों में पार्टी की एकजुटता और स्थिरता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
- नेतृत्व संकट: यदि परिवार में ऐसे मतभेद खुले आम होते रहे, तो यह नेतृत्व की कमजोरी और अंदरूनी असंतुलन का संकेत माना जाएगा।
- निर्वाचन रणनीति: बिहार चुनावों में RJD को अपने वोट बैंक को रिटेन करना है। परिवार के अंदरूनी झगड़े उसकी चुनावी ताकत को कमजोर कर सकते हैं।
- नई पॉलिटिकल अलायंस: इस कलह से संभावित है कि तेज प्रताप अपनी राजनीतिक राह अलग बनाए या नए गठबंधनों की ओर देखें — जिससे RJD की राजनीति में और बदलाव आ सकता है।
7. लोगों (फैंस और मीडिया) की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनलों और विश्लेषकों के बीच इस विवाद पर तीखी बहस हो रही है। कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएँ इस तरह हैं:
- बहुत से लोग तेज प्रताप की समर्थन में हैं और रोहिणी की “आत्मसम्मान की लड़ाई” को सही ठहरा रहे हैं।
- कुछ का मानना है कि रोहिणी केवल ध्यान पाने की कोशिश कर रही हैं — और यह एक पॉलिटिकल ड्रामा है।
- मीडिया में यह सवाल उठ रहा है कि यह व्यक्तिगत झगड़ा RJD को चुनाव से पहले कितना नुकसान पहुँचा सकता है।
- विश्लेषक यह कह रहे हैं कि लालू परिवार की इस कलह ने RJD की “परिवार-पार्टी” वाली छवि को कमजोर किया है, और भविष्य में यह और अधिक खुली लड़ाइयों की शुरुआत हो सकती है।
8. आगे क्या हो सकता है? संभावित परिदृश्य
अब सवाल यह है कि यह विवाद आगे कैसे बढ़ेगा और RJD की राजनीति में इसका क्या नतीजा होगा। आइए देखें कुछ संभावित दिशा-निर्देश:
परिदृश्य 1: सुलह और मध्यस्थता
लालू यादव या वरिष्ठ पार्टी नेताओं के हस्तक्षेप से सुलह की कोशिश हो सकती है। तेज प्रताप और रोहिणी दोनों को समझाया जाए कि सार्वजनिक झगड़ा पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है और उसे समाप्त किया जाना चाहिए।
परिदृश्य 2: अलग राजनीतिक पथ
तेज प्रताप अपनी नई राजनीतिक पहचान बनाते हुए अलग मोर्चा बना सकते हैं या किसी अन्य गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं, खासकर यदि उन्हें लगता है कि RJD में उनकी आवाज़ दब रही है।
परिदृश्य 3: पारिवारिक विद्रोह गहरा हो जाए
अगर सुलह न हो सके, तो यह कलह और बढ़ सकती है। और इस स्थिति में, रोहिणी या तेज प्रताप जैसे परिवार के प्रमुख सदस्य सार्वजनिक रूप से RJD के खिलाफ उतर सकते हैं, जिससे पार्टी की चुनावी स्थिति प्रभावित हो सकती है।
परिदृश्य 4: विपक्ष द्वारा लाभ उठाना
विपक्षी पार्टियाँ इस कलह को RJD के खिलाफ सुराप्रचार सामग्री के रूप में इस्तेमाल कर सकती हैं — और चुनावी माहौल में इसका फायदा उठा सकती हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1: रोहिणी आचार्य ने आखिर क्या कहा था?
रोहिणी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए राजनीति छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने की घोषणा की, और आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी में marginalize किया गया है, खासकर संजय यादव और रमीज़ नेमत की वजह से।
Q2: तेज प्रताप यादव ने अपनी बहन के लिए क्या प्रतिक्रिया दी?
तेज प्रताप ने कहा कि रोहिणी के अपमान की खबर ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह “असहनीय” है और पिता लालू यादव को हस्तक्षेप करने की अपील की है।
Q3: क्या यह सिर्फ पारिवारिक झगड़ा है या राजनीतिक संकट भी?
यह झगड़ा पारिवारिक और राजनीतिक दोनों स्तर पर है। यह RJD की पार्टी की छवि, नेतृत्व की एकजुटता और भविष्य की चुनावी रणनीति पर भी असर डाल सकता है।
Q4: तेजस्वी यादव ने इस पूरे विवाद पर क्या कहा है?
अब तक तेजस्वी यादव की तरफ से कोई बड़ा सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे यह माना जा रहा है कि वे रणनीतिक चुप्पी बरत रहे हैं या अंदरूनी स्तर पर स्थिति को मैनेज करने की कोशिश में हैं।
Q5: आगे RJD या लालू परिवार में क्या हो सकता है?
कुछ संभावनाएँ हैं: सुलह, परिवार का further विखंडन, तेज प्रताप या रोहिणी का अलग राजनीतिक रास्ता, या विपक्ष द्वारा इस कलह का चुनावी फायदा उठाना।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में लालू-परिवार का यह विवाद सिर्फ एक पारिवारिक टकराव नहीं है — यह RJD की एकजुटता, उसकी सार्वजनिक छवि और आगामी चुनावों की रणनीति पर गहरी चोट ला सकता है। रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप यादव दोनों ने अपने-अपने तरीकों से यह साफ किया है कि वे सिर्फ चुप नहीं बैठेंगे।
अगर RJD इस संकट का सही समय पर सामना नहीं करती है, तो यह सिर्फ पारिवारिक कलह के रूप में नहीं रहने वाला — बल्कि एक राजनीतिक संकट बन कर उभर सकता है, जो पूरे बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
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