Owaisi भारतीय राजनीति में अगर कोई नेता हमेशा सुर्खियों में रहता है, तो वो हैं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी। उनके बयानों से अक्सर सियासी गलियारों में हलचल मच जाती है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है — क्योंकि इस बार ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तारीफ कर दी!
अब सवाल उठता है — क्या ओवैसी और BJP के बीच कोई नया समीकरण बन रहा है?
या फिर ये कोई राजनीतिक चाल है?
आइए जानते हैं विस्तार से कि ओवैसी ने BJP की तारीफ क्यों की, किस संदर्भ में कही, और इसके पीछे क्या राजनीति छिपी है।
ओवैसी का बयान जिसने मचाई हलचल
हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ओवैसी ने कहा —
“BJP कम से कम अपनी राजनीति साफ-साफ करती है। वो जो सोचती है, वही बोलती है, जबकि बाकी पार्टियां दोहरा चेहरा रखती हैं।”
ये बयान सुनते ही मीडिया में भूचाल आ गया। सोशल मीडिया पर लोग सवाल करने लगे —
“क्या ओवैसी अब BJP के करीब जा रहे हैं?”
“क्या AIMIM का स्टैंड बदल रहा है?”
पर हकीकत इतनी सीधी नहीं है। आइए समझते हैं इस बयान के पीछे की असली कहानी।
BJP की तारीफ या विपक्ष पर तंज?
ओवैसी का ये बयान सीधे तौर पर विपक्षी दलों पर तंज था।
उन्होंने कहा कि कई पार्टियां मुस्लिम वोट पाने के लिए “सेक्युलरिज्म” का मुखौटा पहनती हैं, लेकिन जब अल्पसंख्यक मुद्दों पर आवाज उठानी होती है, तब चुप रहती हैं।
ओवैसी ने कहा —
“BJP जो करती है, वो खुलकर करती है। लेकिन बाकी पार्टियां मुसलमानों का इस्तेमाल करती हैं और बाद में भूल जाती हैं।”
इस बयान से साफ है कि ओवैसी की मंशा BJP की प्रशंसा से ज्यादा विपक्ष की आलोचना करना था।
लेकिन भारतीय राजनीति में “तारीफ” शब्द की अपनी राजनीति होती है — और यही वजह है कि ये बयान अब बड़े राजनीतिक विवाद में बदल चुका है।
विपक्ष में बेचैनी क्यों?
ओवैसी का बयान सुनकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और RJD जैसे विपक्षी दलों के खेमे में बेचैनी बढ़ गई।
कई नेताओं ने कहा कि ओवैसी जानबूझकर BJP को फायदा पहुंचाने का काम करते हैं।
कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा —
“ओवैसी हमेशा विपक्षी वोटों को काटते हैं, जिससे BJP को फायदा होता है। ये तारीफ उसी रणनीति का हिस्सा है।”
वहीं, SP के नेताओं ने भी कहा कि ओवैसी “BJP की ‘बी-टीम’” की तरह काम कर रहे हैं।
लेकिन ओवैसी ने इस आरोप का सख्त जवाब दिया —
“हम किसी की टीम नहीं हैं। हम अपनी राजनीति करते हैं। जो मुसलमानों, दलितों और पिछड़ों की आवाज नहीं उठाता, हम उसकी पोल खोलेंगे।”
ओवैसी की राजनीति का पैटर्न
अगर हम पिछले कुछ सालों की राजनीति देखें तो ओवैसी का तरीका बिल्कुल साफ दिखता है —
वे मुद्दों की राजनीति करते हैं, और सीधे-सपाट बोलने से नहीं कतराते।
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2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कहा था कि “कांग्रेस अब मुसलमानों की पार्टी नहीं रही।”
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बिहार चुनाव में AIMIM ने कई सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था।
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तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी उन्होंने छोटे-छोटे लेकिन प्रभावी मोर्चे बनाए।
इन सभी मौकों पर विपक्षी दलों ने कहा कि ओवैसी की मौजूदगी वोट डिवाइड करने के लिए होती है, जिससे BJP को फायदा होता है।
लेकिन ओवैसी हमेशा कहते हैं —
“हम अपने हक की राजनीति करते हैं। मुसलमानों को अब किसी के वोट बैंक बनने की जरूरत नहीं।”

क्या ओवैसी का ये बयान रणनीति का हिस्सा है?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ओवैसी का ये बयान एक सटीक रणनीति है।
वे जानते हैं कि BJP को सीधे चुनौती देना मुश्किल है, लेकिन अगर वे विपक्ष की कमजोरी उजागर करते हैं, तो उनकी छवि ‘ईमानदार विपक्ष’ की बनती है।
इससे उन्हें दो फायदे होते हैं:
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मुस्लिम वोटर्स में भरोसा बढ़ता है, क्योंकि वे विपक्ष की “चुप्पी” पर सवाल उठाते हैं।
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राजनीतिक स्पेस बढ़ता है, क्योंकि मीडिया में वे हर बार चर्चा में रहते हैं।
BJP की प्रतिक्रिया क्या थी?
BJP ने इस बयान को अपने लिए “राजनीतिक बोनस” के रूप में देखा।
कई नेताओं ने कहा —
“कम से कम ओवैसी जैसे विरोधी ने ये तो माना कि BJP दोहरा खेल नहीं खेलती।”
कुछ BJP समर्थकों ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“ओवैसी ने सच बोल दिया। बाकी पार्टियां सिर्फ वोट के लिए धर्म की राजनीति करती हैं।”
हालांकि, BJP ने इसे ज्यादा बड़ा मुद्दा नहीं बनाया, क्योंकि वे जानते हैं कि ओवैसी के शब्दों का राजनीतिक असर सीमित क्षेत्रों तक रहता है।
सोशल मीडिया पर कैसी रही प्रतिक्रिया?
Twitter (X), Facebook और Instagram पर ओवैसी का बयान ट्रेंड करने लगा।
हैशटैग #OwaisiOnBJP, #OwaisiPraiseBJP और #AIMIM भी टॉप ट्रेंड में थे।
कुछ लोगों ने ओवैसी की “ईमानदारी” की तारीफ की, तो कुछ ने उन पर “BJP एजेंडा” चलाने का आरोप लगाया।
एक यूज़र ने लिखा —
“कम से कम ओवैसी ने वो कहा जो बाकी बोलने से डरते हैं।”
वहीं, दूसरे ने लिखा —
“ये सब प्लान है। चुनाव नज़दीक हैं, और ये बयान BJP को अप्रत्यक्ष फायदा देगा।”
चुनावी समीकरणों पर क्या असर पड़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी का ये बयान लोकसभा 2026 की तैयारी का हिस्सा है।
AIMIM इस बार यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में भी सक्रिय रूप से उतरने की कोशिश कर रही है।
अगर वे मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा भी विपक्ष से खींच लेते हैं, तो इससे BJP को अप्रत्यक्ष फायदा मिल सकता है।
लेकिन ओवैसी इस धारणा को पूरी तरह नकारते हैं।
उनके मुताबिक —
“हम वोट काटने नहीं, आवाज उठाने आए हैं।”
विशेषज्ञों की राय
राजनीति विशेषज्ञ डॉ. नीरज सिंह का कहना है —
“ओवैसी जानते हैं कि BJP को सीधे हराना मुश्किल है, इसलिए वो विपक्ष की साख पर सवाल उठाकर खुद को विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं।”
वहीं, प्रोफेसर रेखा वर्मा का कहना है —
“ओवैसी का हर बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा होता है। ये बयान उनके मुस्लिम समर्थकों को मजबूत करने का कदम है।”
AIMIM की भविष्य की योजना
AIMIM अब सिर्फ हैदराबाद तक सीमित पार्टी नहीं रही।
ओवैसी अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना चाहते हैं।
उन्होंने हाल ही में कहा था कि —
“हमें हर राज्य में अपनी आवाज उठानी है। मुसलमान सिर्फ वोट बैंक नहीं, बल्कि निर्णयकर्ता बनें।”
इस बयान से ये साफ है कि ओवैसी आने वाले वर्षों में विपक्ष के लिए चुनौती बनने वाले हैं।
ओवैसी का साफ संदेश
संपूर्ण विवाद के बाद भी ओवैसी ने अपने रुख से पीछे हटने से इनकार किया।
उन्होंने कहा —
“मैं वही कहता हूं जो सच है। BJP अपने एजेंडे को खुलकर रखती है, जबकि बाकी पार्टियां धोखा देती हैं।”
ये बात सुनकर एक बात तो साफ है — ओवैसी अपने स्टाइल में सियासत की भाषा बदलना चाहते हैं।
निष्कर्ष: तारीफ नहीं, सियासत का नया अध्याय
अगर ओवैसी के बयान को ध्यान से देखा जाए तो ये BJP की तारीफ से ज्यादा विपक्ष पर हमला है।
लेकिन राजनीति में हर बात के कई मायने होते हैं —
और यही कारण है कि ओवैसी का यह बयान आने वाले चुनावी महीनों में कई राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है।
कभी विरोधी, कभी अप्रत्यक्ष साथी —
ओवैसी और BJP की “राजनीतिक केमिस्ट्री” आने वाले वक्त में और दिलचस्प मोड़ ले सकती है।
FAQs: Owaisi और BJP के बीच क्या चल रहा है?
Q1. क्या ओवैसी ने वास्तव में BJP की तारीफ की है?
हाँ, उन्होंने कहा कि BJP “साफ-साफ” राजनीति करती है, लेकिन असल में उनका निशाना विपक्ष पर था।
Q2. क्या ओवैसी अब BJP के साथ गठबंधन करने वाले हैं?
नहीं, ऐसा कोई संकेत नहीं है। ओवैसी ने कई बार कहा है कि उनकी पार्टी स्वतंत्र राजनीति करती है।
Q3. विपक्ष को ओवैसी से डर क्यों लगता है?
क्योंकि AIMIM उन इलाकों में मुस्लिम वोटों को प्रभावित करती है, जिससे विपक्षी पार्टियों का समीकरण बिगड़ता है।
Q4. क्या BJP को ओवैसी के बयानों से फायदा होता है?
कुछ हद तक हाँ, क्योंकि इससे विपक्षी वोटों में बंटवारा हो सकता है।
Q5. क्या यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
संभावना बहुत अधिक है। ओवैसी हर बार अपने बयानों से मीडिया और जनता दोनों को चर्चा में रखते हैं।
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