Govardhan Puja 2025: दिवाली के ठीक अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की उस लीलाओं की याद दिलाता है जब उन्होंने इंद्रदेव के क्रोध से वृंदावनवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था। इसीलिए इस दिन पूरे भारत में भक्तजन अन्नकूट और विभिन्न प्रकार के पारंपरिक भोग तैयार करके श्रीकृष्ण को समर्पित करते हैं।
Govardhan Puja 2025 कब है?
गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन पड़ती है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। Govardhan Puja 2025 इस बार 1 नवंबर 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन भक्तजन सुबह-सुबह स्नान कर गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का संदेश है कि हमें प्रकृति की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि वही हमारी जीवनदायिनी है। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा कर यह बताया कि प्रकृति, पशु-पक्षी, पर्वत, जल और वायु — ये सब हमारी जीवन-शक्ति हैं। इसीलिए इस दिन विशेष रूप से अन्नकूट बनाया जाता है, जिसमें सैकड़ों प्रकार के व्यंजन तैयार कर श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं।
‘अन्नकूट’ का अर्थ है — अन्न का पर्वत। यह दर्शाता है कि हमें ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना चाहिए कि उन्होंने हमें अन्न, जल और जीवन दिया है।
अन्नकूट में बनते हैं ये 5 पारंपरिक भोग
गोवर्धन पूजा के दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन परंपरा के अनुसार पांच विशेष भोग ऐसे हैं जो भगवान श्रीकृष्ण को विशेष रूप से प्रिय माने जाते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से —
1. खीर — हर पूजा का मीठा आधार
खीर का स्थान हर भारतीय पूजा में विशेष होता है। गोवर्धन पूजा पर चावल, दूध और गुड़ या चीनी से बनी खीर श्रीकृष्ण को अर्पित की जाती है। इसमें केसर, इलायची और बादाम-पिस्ता डालने से इसका स्वाद दिव्य हो जाता है।
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को ‘माखन-मिश्री’ और ‘खीर’ बेहद प्रिय है। इसलिए भक्त खीर को ‘गोवर्धन भोग’ का मुख्य हिस्सा मानते हैं।
2. माखन-मिश्री — श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय भोग
श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं माखन और मिश्री से जुड़ी हैं। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा के दिन भक्त माखन-मिश्री का भोग जरूर लगाते हैं। यह भोग शुद्ध देसी गाय के दूध से बने मक्खन और मिश्री के मिश्रण से तैयार किया जाता है।
मान्यता है कि माखन-मिश्री का भोग लगाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है, और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद सदा बना रहता है।
3. पुरी-छोले — सत्विक स्वाद का प्रतीक
पुरी और छोले का भोग गोवर्धन पूजा में एक विशेष महत्व रखता है। यह व्यंजन सत्विक भोजन का प्रतीक है — बिना प्याज और लहसुन के बनाया जाता है।
घी में तली हुई सुनहरी पूरी और मसालेदार छोले न केवल भगवान को अर्पित किए जाते हैं, बल्कि प्रसाद के रूप में पूरे परिवार और समाज में वितरित भी किए जाते हैं।
4. दाल-बाटी-चूरमा — राजस्थान की गोवर्धन परंपरा
राजस्थान और पश्चिमी भारत में गोवर्धन पूजा पर दाल-बाटी-चूरमा का भोग लगाना परंपरा का हिस्सा है। गेहूं की बाटी को तंदूर या ओवन में सेककर, घी में डुबोकर मूंग की दाल और मीठे चूरमा के साथ भगवान को चढ़ाया जाता है।
यह भोग स्वाद, परंपरा और भक्ति का संगम माना जाता है। कई जगहों पर अन्नकूट में सौ से अधिक व्यंजन बनाए जाते हैं, लेकिन दाल-बाटी-चूरमा की जगह कोई नहीं ले पाता।
5. पंचामृत — पूजा का अभिन्न हिस्सा
गोवर्धन पूजा में पंचामृत का विशेष महत्व है। दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल — इन पांच तत्वों से तैयार किया गया यह अमृत भगवान को स्नान कराने और भोग लगाने दोनों के लिए उपयोग किया जाता है।
पंचामृत को बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे ‘देव अमृत’ भी कहा जाता है।
कैसे करें गोवर्धन पूजा?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के आंगन या मंदिर में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं।
- इस गोवर्धन आकृति के चारों ओर दीप जलाएं और फूलों से सजाएं।
- श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर गोवर्धन पूजा करें।
- खीर, माखन-मिश्री, पुरी, दाल-बाटी, और अन्य भोग अर्पित करें।
- ‘गोवर्धन पूजा’ मंत्र का जाप करें — “गोवर्धन धाराय नमः”
गोवर्धन पूजा से जुड़े धार्मिक उपाय
- इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
- श्रीकृष्ण को तुलसीदल अर्पित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- अन्नदान करने से लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
- गाय की सेवा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
Govardhan 2025: पर्यावरण संदेश के साथ त्योहार
आज के समय में जब मानव प्रकृति से दूर होता जा रहा है, गोवर्धन पूजा हमें यह याद दिलाती है कि प्रकृति की सुरक्षा ही सच्ची भक्ति है। यह पर्व न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक भी है।
गोवर्धन पर्व के माध्यम से हम सीखते हैं कि धरती, पर्वत, पेड़, गाय, जल और वायु — ये सब ईश्वर के स्वरूप हैं और इनकी रक्षा करना ही सच्ची पूजा है।
निष्कर्ष: Govardhan Puja 2025 का सार
गोवर्धन पूजा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, प्रकृति और समाज के प्रति आभार का प्रतीक है। इस दिन तैयार किए गए पांच पारंपरिक भोग — खीर, माखन-मिश्री, पुरी-छोले, दाल-बाटी-चूरमा और पंचामृत — केवल स्वाद नहीं, बल्कि संस्कृति की आत्मा हैं।
तो इस Govardhan Puja 2025 पर अपने घर में ये पारंपरिक भोग अवश्य तैयार करें और श्रीकृष्ण को अर्पित करें। यह न केवल आपके जीवन में समृद्धि लाएगा, बल्कि आध्यात्मिक शांति और आनंद भी देगा।
FAQs: Govardhan Puja 2025
1. गोवर्धन पूजा कब मनाई जाएगी?
गोवर्धन पूजा 2025 में 1 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी।
2. गोवर्धन पूजा में कौन-कौन से भोग चढ़ाए जाते हैं?
खीर, माखन-मिश्री, पुरी-छोले, दाल-बाटी-चूरमा और पंचामृत प्रमुख भोग हैं।
3. गोवर्धन पूजा का क्या महत्व है?
यह पर्व प्रकृति और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का प्रतीक है, जो हमें पर्यावरण संरक्षण और कृतज्ञता का संदेश देता है।
4. क्या गोवर्धन पूजा और अन्नकूट एक ही हैं?
हाँ, दोनों एक ही पर्व हैं। अन्नकूट का अर्थ है अन्न का पर्वत, जो गोवर्धन पूजा का मुख्य अंग है।
5. गोवर्धन पूजा कैसे करें?
गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं, दीप जलाएं, श्रीकृष्ण की पूजा करें और अन्नकूट का भोग अर्पित करें।
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