Delhi-NCR की हवा फिर बनी जहर — सांस लेना भी मुश्किल
Delhi-NCR दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद की हवा एक बार फिर जहरीली हो चुकी है। सुबह उठते ही आसमान में फैला धुंध और आंखों में जलन इस बात की गवाही दे रहे हैं कि वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच चुका है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली का AQI (Air Quality Index) 450 के पार पहुंच गया है, जो ‘गंभीर श्रेणी (Severe Category)’ में आता है। यानी यह हवा अब सिर्फ गंदी नहीं, बल्कि घातक है।
नोएडा और गाजियाबाद में भी हालात बहुत अलग नहीं हैं। दोनों शहरों में AQI क्रमशः 420 और 435 दर्ज किया गया है। यही नहीं, फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी वायु गुणवत्ता ‘Very Poor’ श्रेणी में दर्ज की गई है।
हवा में क्या है जो इसे इतना खतरनाक बना रहा है?
दिल्ली-एनसीआर की हवा में अब सिर्फ धूल नहीं, बल्कि PM2.5 और PM10 कण की भारी मात्रा पाई जा रही है। ये सूक्ष्म कण हमारे फेफड़ों के अंदर तक पहुंच जाते हैं और सांस की बीमारियों, दमा, ब्रोंकाइटिस और हार्ट प्रॉब्लम्स का कारण बनते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, हवा में निम्न तत्व खतरनाक स्तर तक बढ़ चुके हैं:
- PM2.5: 320 μg/m³ (मानक सीमा: 60 μg/m³)
- PM10: 480 μg/m³ (मानक सीमा: 100 μg/m³)
- NO₂ (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड): 110 μg/m³
- SO₂ (सल्फर डाइऑक्साइड): 75 μg/m³
यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि हवा अब “सांस लेने योग्य” नहीं रही।
इस प्रदूषण के पीछे कौन हैं असली दोषी?
हर साल की तरह इस बार भी सवाल वही है — आखिर इस प्रदूषण का असली कारण कौन है?
- पराली जलाना: पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं बढ़ गई हैं। NASA सैटेलाइट इमेज के अनुसार, पिछले एक हफ्ते में 3,500 से ज्यादा जगहों पर स्टबल बर्निंग हुई।
- वाहन उत्सर्जन (Vehicle Emission): दिल्ली की सड़कों पर 1.2 करोड़ से अधिक वाहन हैं। इनमें से अधिकांश डीजल गाड़ियां हैं जो प्रदूषण का बड़ा स्रोत हैं।
- कंस्ट्रक्शन डस्ट: नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली में हजारों जगहों पर निर्माण कार्य चल रहे हैं। इससे धूल का स्तर खतरनाक बढ़ गया है।
- इंडस्ट्रियल स्मोक: एनसीआर के औद्योगिक इलाकों में फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं हवा में मिलकर इसे और जहरीला बना रहा है।
इन सब कारणों के चलते Delhi-NCR में “Gas Chamber” जैसी स्थिति बन चुकी है।
लोगों पर असर — सांस, आंखें और दिल तक खतरा
दिल्ली के कई अस्पतालों में पिछले 10 दिनों में सांस की दिक्कत वाले मरीजों की संख्या 40% तक बढ़ गई है। AIIMS और Safdarjung Hospital के डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों और बुजुर्गों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है।
डॉक्टर डॉ. अरुणेश कुमार (Pulmonologist) का कहना है — “यह हवा अब जहर बन चुकी है। लगातार इस हवा में रहने से व्यक्ति को क्रॉनिक अस्थमा, दिल की बीमारी और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी हो सकता है।”
स्कूलों में भी अब मास्क और एयर प्यूरिफायर अनिवार्य किए जा रहे हैं। कई प्राइवेट स्कूलों ने तो बच्चों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा देनी शुरू कर दी है।
सरकार की कोशिशें और उनके नतीजे
दिल्ली सरकार ने हाल ही में ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)’ लागू किया है। इसके तहत:
- डिज़ल जनरेटर बंद रहेंगे।
- कंस्ट्रक्शन साइट्स पर काम रोका जाएगा।
- स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटीज पर रोक।
- ट्रकों और पुराने वाहनों की एंट्री बैन।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अब बहुत देर से उठाए गए हैं। हर साल अक्टूबर से दिसंबर तक जब हवा स्थिर होती है और प्रदूषण बढ़ता है, तब प्रशासन नींद से जागता है।
दिल्लीवालों की दिनचर्या पर असर
स्मॉग के कारण दृश्यता (Visibility) इतनी कम हो गई है कि सुबह-सुबह गाड़ियां हेडलाइट जलाकर चल रही हैं। मेट्रो प्लेटफॉर्म और सड़कों पर भी धुंध की मोटी परत छाई है।
लोग सुबह की वॉक या जॉगिंग बंद कर चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा साक्षी कहती हैं — “पहले मॉर्निंग वॉक रूटीन था, अब मास्क पहनकर भी बाहर नहीं जा सकती। आंखों में जलन और सिरदर्द शुरू हो जाता है।”
नोएडा और गाजियाबाद में हालात बदतर
नोएडा सेक्टर 62, 128 और 150 में AQI 430 के पार है। वहीं गाजियाबाद के वसुंधरा और इंदिरापुरम में स्थिति और खराब है। यहां हवा में धूल इतनी है कि लोग अब एयर प्यूरीफायर और नेब्युलाइज़र खरीदने को मजबूर हैं।
गाजियाबाद के डॉक्टरों का कहना है कि पिछले 1 सप्ताह में खांसी और एलर्जी के मरीजों में 60% की वृद्धि हुई है।
क्या मास्क पहनना काफी है?
लोग सोचते हैं कि N95 मास्क पहनने से सुरक्षा मिल जाती है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।
डॉ. कुमार के मुताबिक, “N95 मास्क 95% तक PM2.5 कणों को रोकता है, लेकिन अगर मास्क फिट नहीं बैठा या बार-बार इस्तेमाल किया गया तो इसका असर कम हो जाता है।”
इसलिए केवल मास्क नहीं, बल्कि इनडोर एयर क्वालिटी सुधारना भी जरूरी है — जैसे पौधे लगाना, एयर प्यूरिफायर का उपयोग और धूम्रपान से बचना।
क्या कहा मौसम विभाग ने?
IMD के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक हवा की गति धीमी रहने वाली है, जिससे प्रदूषण और बढ़ सकता है। राहत तभी मिलेगी जब हल्की बारिश या तेज हवाएं चलेंगी।
15 से 20 अक्टूबर के बीच हल्की बूंदाबांदी की संभावना जताई गई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सीमित राहत मिलेगी।
लोग क्या कर सकते हैं Delhi-NCR?
अगर आप दिल्ली-NCR में रहते हैं, तो आपको अपने स्तर पर भी सावधानियां बरतनी चाहिए।
- सुबह या देर रात बाहर निकलने से बचें।
- घर में पौधे लगाएं जैसे स्नेक प्लांट, मनी प्लांट और पीस लिली।
- घरों में HEPA फिल्टर वाला एयर प्यूरिफायर लगाएं।
- गाड़ियों का उपयोग कम करें, पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाएं।
- फेफड़ों को मजबूत करने के लिए योग और भ्रामरी प्राणायाम करें।
बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे ज्यादा खतरा
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव सबसे गंभीर होता है। बच्चों के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते और वे अधिक हवा अंदर लेते हैं, जिससे टॉक्सिक कण शरीर में तेजी से पहुंचते हैं।
बुजुर्गों और हृदय रोगियों को भी प्रदूषण के कारण हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
Air Quality Index (AQI) क्या बताता है Delhi-NCR?
AQI यानी Air Quality Index यह बताता है कि हवा कितनी साफ या गंदी है। इसका स्केल इस प्रकार है:
AQI स्तर | श्रेणी | प्रभाव |
---|---|---|
0-50 | Good | कोई प्रभाव नहीं |
51-100 | Satisfactory | हल्का असर |
101-200 | Moderate | संवेदनशील लोगों को असर |
201-300 | Poor | सांस की समस्या |
301-400 | Very Poor | गंभीर स्वास्थ्य खतरे |
401-500 | Severe | सभी के लिए घातक |
क्या भविष्य में हालात सुधरेंगे Delhi-NCR?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार, उद्योग और नागरिक मिलकर काम करें तो आने वाले वर्षों में हालात सुधारे जा सकते हैं।
जरूरत है सख्त नीति और जनजागरूकता की। इलेक्ट्रिक वाहनों, ग्रीन एनर्जी और वेस्ट मैनेजमेंट पर निवेश बढ़ाना होगा।
अगर नहीं किया गया, तो दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना आने वाले समय में और मुश्किल हो जाएगा।
निष्कर्ष: Delhi-NCR अब नहीं तो कभी नहीं
दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद की हवा अब सिर्फ आंकड़ों में खराब नहीं, बल्कि लोगों के जीवन पर असर डाल रही है। यह समय है ‘स्मॉग से स्माइल तक’ की यात्रा शुरू करने का।
सरकारें अपने कदम उठाएं, लेकिन हमें भी छोटे-छोटे प्रयासों से इस जहरीली हवा के खिलाफ जंग लड़नी होगी। क्योंकि अगर आज नहीं, तो कल हम खुद इस हवा का हिस्सा बन जाएंगे।
FAQs: Delhi NCR Pollution 2025
Q1. दिल्ली में अभी AQI कितना है?
आज सुबह दिल्ली का औसत AQI 452 दर्ज किया गया, जो ‘Severe’ कैटेगरी में आता है।
Q2. क्या मास्क पहनने से प्रदूषण से बचाव हो सकता है?
N95 मास्क कुछ हद तक सुरक्षा देता है, लेकिन पूरी तरह नहीं। इनडोर एयर क्वालिटी भी सुधारनी जरूरी है।
Q3. प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण क्या है?
पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन और निर्माण कार्य प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।
Q4. क्या बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित है?
जब AQI ‘Severe’ हो, तो बच्चों को आउटडोर गतिविधियों से दूर रखना ही बेहतर है।
Q5. सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
GRAP लागू किया गया है, जिसमें ट्रक एंट्री बैन, कंस्ट्रक्शन रोक और जनरेटर बंद किए गए हैं।
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