Ram Mandir Dhwajarohan Ceremony: क्यों है इतना विशेष?
ध्वजारोहण सिर्फ एक समारोह नहीं था, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक था। अयोध्या के इतिहास में पहली बार नव-निर्मित राम मंदिर पर प्रधानमंत्री ने स्वयं भगवा ध्वज फहराया। यह ध्वज धर्म, संस्कृति, आस्था और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है।
दर्शनों में शामिल लोग बार-बार कह रहे थे कि जिस सौभाग्य की प्रतीक्षा वर्षों से थी, आज वह पूरा हुआ है। मंदिर परिसर में मौजूद लोग इस क्षण को अपने जीवन का सबसे सौभाग्यपूर्ण पल बता रहे थे।
ध्वजारोहण के समय का दृश्य: भक्ति और भव्यता का संगम
सुबह से ही अयोध्या के आस-पास के क्षेत्रों में भारी भीड़ जुटती दिखी। चारों ओर फूलों की सजावट, मंदिर की सुनहरी मूरत, और इसके बीच में तिरंगे की तरह गर्व से लहराता भगवा ध्वज… यह नजारा हर किसी को भावुक कर गया।
ध्वजारोहण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हाथों से रस्सी खींची और जैसे ही ध्वज फहरा, पूरा परिसर “जय श्री राम!” के नारों से गूंज उठा। हवा में उड़ते पुष्प वर्षा ने समारोह की पवित्रता को और भी अद्भुत बना दिया।
PM मोदी का संबोधन: आध्यात्म, राष्ट्रीयता और सांस्कृतिक चेतना का संदेश
ध्वजारोहण के तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने विशाल जनसभा को संबोधित किया। उनका भाषण भावनाओं, ऊर्जा और विजन से भरा हुआ था। उन्होंने कहा कि:
“अयोध्या में राम मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति और सभ्यता का गौरव है। यह ध्वज रामराज्य की प्रेरणा है। यह ध्वज हम सबको कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।”
उन्होंने आगे कहा कि देश आज एक नए अध्याय में प्रवेश कर रहा है — जहां आस्था और विकास दोनों साथ-साथ चलेंगे। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को यह भी संदेश दिया कि रामराज्य का मतलब है न्याय, समानता, करुणा और कर्तव्य पालन।
अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
इतिहास के इस बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त थी। शहर में अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी। ड्रोन निगरानी, QR प्रणाली, हर रास्ते पर वॉलंटियर्स और मंदिर मार्ग की विशेष सुरक्षा ने पूरे आयोजन को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाया।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि करीब 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पूरे दिन शहर में मौजूद थे, जबकि लाइव टेलीकेस्ट के माध्यम से करोड़ों लोग इस पल के साक्षी बने।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया: “इस दिन का इंतजार पीढ़ियों से था”
अयोध्या के कई बुजुर्ग और स्थानीय नागरिकों ने भावुक होते हुए कहा—
“हमने इस दिन को देखने के लिए अपने जीवन में बहुत कुछ सहा और बहुत इंतजार किया। आज PM मोदी द्वारा भगवा ध्वज फहराते देखना हमारे लिए सपने के सच होने जैसा है।”
कई दुकानदारों ने बताया कि आज अयोध्या में ऐसा लग रहा था जैसे पूरा शहर दीपावली मना रहा हो। मिठाइयाँ बिक रही थीं, फूलों की माला हर दुकान पर थी, और सड़कों पर भजन-कीर्तन की गूंज सुनाई दे रही थी।
मंदिर परिसर में हुए अन्य आयोजन
- विशेष वैदिक मंत्रों का पाठ
- रामलला की विशेष पूजा
- ध्वजारोहण के बाद पुष्प वर्षा
- सांस्कृतिक कार्यक्रम
- श्रीराम कथा एवं प्रवचन सत्र
ध्वजारोहण के बाद अयोध्या का माहौल
पूरे शहर में भव्य सजावट की गई थी। राम पथ, जन्मभूमि मार्ग, सरयू घाट—हर जगह रोशनी, रंगोली और झंडों की सजावट थी। ध्वजारोहण के बाद श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर के दर्शन के लिए उमड़ पड़ा।
स्थानीय प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष व्यवस्था की ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। शाम को सरयू नदी में भव्य आरती ने पूरे आयोजन का समापन दिव्य बना दिया।
भारत के लिए क्या मायने रखता है यह समारोह?
Ram Mandir Dhwajarohan Ceremony केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक क्षण था। इससे भारत की विश्व मंच पर नई पहचान भी मजबूत हुई — कि भारत अपनी सभ्यता और विरासत को उसी गर्व से जी रहा है, जिस गरिमा के वह योग्य है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह आयोजन भारत की सामूहिक चेतना को ऊर्जा देता है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरक संदेश बनकर रहेगा।
FAQ: Ram Mandir Dhwajarohan Ceremony
1. Ram Mandir Dhwajarohan Ceremony क्यों आयोजित किया गया?
यह समारोह राम मंदिर के उद्घाटन के बाद पहली बार आयोजित किया गया, जिसमें भगवा ध्वज फहराकर मंदिर की आध्यात्मिक गरिमा को सम्मान दिया गया।
2. ध्वज किसने फहराया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर भगवा ध्वज फहराया।
3. समारोह में क्या-क्या हुआ?
वैदिक मंत्रोच्चार, विशेष पूजा, पुष्प वर्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और PM मोदी का संबोधन मुख्य आकर्षण थे।
4. अयोध्या में भीड़ कितनी थी?
करीब 5 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या में मौजूद थे, जबकि करोड़ों दर्शकों ने लाइव कार्यक्रम देखा।
5. क्या यह हर साल होगा?
सरकारी और मंदिर ट्रस्ट सूत्रों के अनुसार, यह समारोह आगे भी एक वार्षिक परंपरा बन सकता है।
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