क्या कह रही है डेटा?
• SBI रिसर्च और अन्य उद्योग डेटा के अनुसार, सितंबर-अक्टूबर 2025 में लगभग 78 % कारें ₹10 लाख से कम की कीमत में बिकी।
• इनमे से करीब 64 % कारें ₹5-10 लाख के बीच थीं, जबकि ₹5 लाख से कम कीमत वाले वाहन लगभग 14 % हिस्सेदारी ले रहे थे।
• उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2025 में भारत में कारों की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर रही — 17% साल-ओवर-साल वृद्धि के साथ। :
यानी बात यह है कि बजट-सेगमेंट की कारें (जिनकी कीमत कम थी) इस बार एकदम बड़ी तादाद में बिक रही थीं, और इसने मूल्य-सेगमेंट का समीकरण बदल दिया है।
क्यों हुआ यह बदलाव? — GST बदलाव और अन्य ड्राइवर्स
इस बदलाव के पीछे कई कारण काम कर रहे हैं:
- GST स्लैब में कटौती: सरकार ने छोटे इंजन, छोटे आकार (सब-4 मीटर) वाले वाहनों तथा कुछ कॉम्पैक्ट SUVs पर टैक्स बोझ कम किया। उदाहरण-स्वरूप: 1,200 cc तक पेट्रोल/एलपीजी/CNG वाहन, औरdiesel 1,500 cc तक वाले।
- त्योहारी ऑफर्स और उत्सव-मिजाज: दशहरा-दिवाली की अवधि में ग्राहक खरीदारी के प्रति अधिक प्रेरित होते हैं। इस बार ऑफर्स, डिस्काउंट, फाइनेंस सुविधाएँ सब मिलकर काम कर रही थीं।
- क्रेडिट-रिलाइबलिटी में सुधार: बैंकिंग/फाइनेंस सेक्टर का माहौल बेहतर बहाव में था, जिससे EMI/लोन-शर्तें थोड़ी आसान थीं। (उद्योग विश्लेषकों ने इस तरह का संकेत दिया है)
- ग्रामीण-और छोटे शहरों में बढ़ोतरी: जहाँ पहले मेट्रो-यूजर्स प्रीमियम कार लेते थे, वहां अब बजट कारों की मांग बढ़ गई है — छोटे शहरों में बजट-कारों का क्रेज फिर से लौट रहा।
खासकर टैक्स कटौती हुई है, तो कार निर्माता कंपनियों ने भी उस लाभ को ग्राहकों तक पहुँचाना शुरू कर दिया — मूल्य कटौती, बेहतर वरियंट्स और आकर्षक पैकेज के रूप में।
कौन-से सेगमेंट और मॉडल इस रुझान में आगे हैं?
बजट-सेगमेंट (₹5-10 लाख) तथा सब-₹5 लाख सेगमेंट में एक्टिविटी बहुत ज़्यादा थी। छोटे इंजन-वाले, सफर-शोभा वाले गाड़ियों की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।
इसके अलावा, कॉम्पैक्ट SUV (जो आमतौर पर ₹10 लाख से कुछ ऊपर शुरू होती हैं) भी टैक्स-बेनिफिट के कारण आकर्षक हो गईं, और उपभोक्ता “थोड़ा ऊपर” ले जाने के मूड में थे।
उदाहरण के लिए, कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि छोटे इंजन और छोटे आकार की SUVs की बिक्री भी दोगुनी-तरह हुई।
इसके साथ, ब्रांड्स ने त्योहारी ऑफर्स भी दिए — जैसे कि Maruti Suzuki ने अपने मॉडल्स पर डिस्काउंट, एक्सचेंज ऑफर और जल्दी डिलीवरी की सुविधा दी। :
बाज़ार पर व्यापक असर
इस प्रवृत्ति का असर सिर्फ एक मॉडल या ब्रांड तक सीमित नहीं रहा — इंडस्ट्री-स्तर पर भी देखा जा रहा है कि बजट-कारों का महत्वपूर्ण हिस्सा वापस आ गया है। वाहन विक्रय डीलरशिप्स में footfall बढ़ा है, ब्रांड्स को जल्दी-डिलीवरी का दबाव था, और ऑर्डर-बुक बढ़ चुकी थी।
इसके अलावा, यह चिंताएँ कम नहीं कि किसी-किसी मॉडल में डिलीवरी-समय बढ़ गया है क्योंकि जहाँ अचानक मांग बढ़ी, वहाँ सप्लाई चेन और इन्वेंटरी-मैनेजमेंट पर दबाव हुआ।
साथ ही, इस बदलाव का अर्थ है कि वाहन-उद्योग का केंद्र सिर्फ “प्रीमियम” मॉडल नहीं रहा — बल्कि कॉन्ज्यूमर की लाग
त-संवेदनशीलता फिर से सामने आई है। यह छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी महसूस किया गया।
आने वाले माह में क्या देखने योग्य होगा?
• क्या यह ट्रेंड कायम रहेगा? यानी 10 लाख से कम कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी आगे भी बनी रहेगी?
• क्या निर्माता कंपनियां छोटे-इंजन, सब-4 मीटर एवं कॉम्पैक्ट SUV पर और निवेश करेंगी?
• सप्लाई-चेन, चिप्स, इन्वेंटरी जैसी चुनौतियाँ इस बूम को कितना सीमित कर सकती हैं?
• वित्त-शर्तें, ब्याज दरें और ईएमआई-लोड यहाँ ब्लॉग करने योग्य खतरे हैं, क्योंकि कीमत में कमी से खरीदारी बढ़ी है लेकिन चल-खर्च भी मायने रखता है।
लेटेस्ट अपडेट्स — Slugs के साथ
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जोखिम-और-चुनौतियाँ
हालांकि यह ट्रेंड बहुत सकारात्मक दिख रहा है, पर इसके साथ कुछ जोखिम-फैक्टर भी जुड़े हुए हैं:
- डिलीवरी-चैन लॉगजाम: जब जल्दी बहुत ज्यादा ऑर्डर आएँ, तो उत्पादन-शेड्यूल और डीलरशिप इन्वेंट्री में दबाव हुआ है।
- ब्याज दरें और लोन-शर्तें: अगर बैंकिंग/फाइनेंस कॉस्ट बढ़े तो खरीदारों का बजट प्रभावित हो सकता है।
- चिप्स और सेमीकंडक्टर संकट: ऑटो उद्योग में यह पुरानी समस्या है — अगर सप्लाई बाधित हुई तो कीमतें फिर बढ़ सकती हैं।
- मूल्य-उठाव (Premiumisation) का दबाव: छोटे-सेगमेंट बढ़ रहा है, पर उपभोक्ता धीरे-धीरे “थोड़ा ऊपर” भी जाना चाह रहे हैं — यह ट्रेंड बड़े मॉडल्स को भी फायदा देता है।
निष्कर्ष
आगे यह देखने की बात होगी कि क्या यह ट्रेंड स्थायी होगा या सिर्फ त्योहारी बूम तक सीमित रहेगा। यदि निर्माता कंपनियाँ इस बदलाव को समझ कर रणनीति बनाएँगी, तो छोटे शहरों एवं ग्रामीण इलाकों में भी ऑटो-बूम को नए आयाम मिल सकते हैं।
FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. वास्तव में कितने प्रतिशत कारें ₹10 लाख से कम में बिकी थीं?
लगभग 78 % कारें इस त्योहारी सीजन में ₹10 लाख से कम कीमत में बिकी थीं।
Q2. GST बदलाव ने कैसे असर डाला?
सरकार ने छोटे इंजन-वाले, छोटे आकार वाले वाहनों पर GST स्लैब में कटौती की है — जिससे effective कीमत कम हुई और बजट-कारों की मांग बढ़ी।
Q3. क्या सिर्फ बजट-कारों की बिक्री बढ़ी है, प्रीमियम मॉडल्स नहीं?
नहीं, प्रीमियम और बड़ी कारों की भी बिक्री बढ़ रही है। पर संख्या-आधार पर बजट-सेगमेंट का दबदबा दिख रहा है।
Q4. यह ट्रेंड कितने समय तक चल सकता है?
यह काफी हद तक टिक सकता है अगर सप्लाई-चेन, फाइनेंसिंग और ग्राहक भरोसा बने रहे। पर अगर टैक्स या ब्याज दरें बदलें, तो ट्रेंड प्रभावित हो सकता है।
Q5. किन मॉडल्स पर ध्यान देना चाहिए यदि मैं इस बजट-सेगमेंट में कार देख रहा हूँ?
आप अपने बजट, इंजन-साइज, छोटे शहर की सर्विस-नेटवर्क, और फीचर्स जैसे कारक देखें। बजट-कारों की बढ़ती मांग के कारण नए मॉडल्स लॉन्च हो रहे हैं। साथ में यह देखें कि क्या निर्माता टैक्स-बेनिफिट ग्राहक तक पास कर रहा है।
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