भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 का मंच हर साल की तरह इस बार भी व्यावसायिक संभावनाओं और राज्य-पैठ का बड़ा अवसर लेकर आया है — और उत्तर प्रदेश ने इसे खोना नहीं दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘लोकल-टू-ग्लोबल’ पहल को लेकर राज्य इस मेले में साझीदार राज्य के रूप में भाग ले रहा है, जहां 2,750 से अधिक प्रदर्शक अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे — जिसमें ODOP (One District One Product), स्टार्ट-अप, महिला उद्यमी और बड़े MSME शामिल हैं।
क्यों मायने रखता है IITF 2025 का ये प्लेटफ़ॉर्म?
IITF दुनिया भर के खरीदार, निवेशक और नीति-निर्माताओं को एक साथ लाने वाला एक बड़ा व्यापारिक मेला है — जहाँ राज्य और देश अपनी उत्पादकता, नवप्रवर्तन और निर्यात-क्षमता दिखाते हैं। 2025 का संस्करण “Ek Bharat: Shresth Bharat” के थीम के साथ हो रहा है और देश भर के राज्यों के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय खरीदार भी मेला में भाग ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश का ‘साझीदार राज्य’ बनकर पहुंचना इसलिए खास है क्योंकि यह सिर्फ प्रदर्शन नहीं — रणनीति और ब्रांड-बिल्डिंग है।
‘लोकल-टू-ग्लोबल’ — नारा नहीं, रास्ता
जब हम कहते हैं ‘लोकल-टू-ग्लोबल’, तो इसका आशय यह है कि जो भी माल और सेवा आज गाँव-और-जिले में बनती है, उसे वैश्विक मानदण्डों और बाजार-चैनलों में ले जाना। उत्तर प्रदेश में यह नीति कई स्तरों पर काम कर रही है — ODOP से लेकर स्टार्ट-अप प्रोत्साहन, महिला उद्यमियों के लिए स्कीम, और MSME के लिए एक्सपोर्ट-सहायता। IITF जैसे मंचों पर इन सब का प्रदर्शन सीधे खरीदारों और निवेशकों तक पहुंच बनाता है।
2,750+ प्रदर्शक — क्या संकेत देता है यह आंकड़ा?
संख्याओं की भाषा सरल है: जितनी अधिक भागीदारी, उतना अधिक अवसर और विविधता। 2,750+ प्रदर्शक का मतलब यह है कि राज्य-स्तर पर लगभग हर सेक्टर से प्रतिनिधित्व होगा — हस्त-शिल्प, खाद्य-प्रसंस्करण, चमड़ा, कपड़ा, खेल सामान से लेकर टेक-स्टार्ट-अप और सर्विस-इंडस्ट्री तक। यह न सिर्फ संख्या है, बल्कि यह प्रतिबद्धता और परिपक्वता को दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश मेले से केवल ‘प्रदर्शन’ नहीं बल्कि टिकाऊ वाणिज्यिक रिश्ते बना कर लौटना चाहता है।
कौन-से सेक्टर होंगे प्रमुख आकर्षण?
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था विविध है। IITF में यह विविधता निम्न 분야 में दिखेगी:
- ODOP पविलियन: One District One Product के तहत हर जिले की विशिष्ट प्रसाधित वस्तु और हस्त-शिल्प प्रदर्शित होंगे — भदोही के कारपेट, फirozabad के ग्लास वर्क, कानपुर की चमड़ा इंडस्ट्री आदि। :contentReference[oaicite:4]{index=4}
- खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषि-उत्पाद: उत्तर प्रदेश भारत का एक बड़ा खाद्य-बाश है; यहां के प्रसंस्कृत उत्पाद निर्यात-योग्य मार्केट में सीधे खरीदारों से मिलेंगे।
- हस्त-शिल्प और रचनात्मक उद्योग: बुनाई, हथकरघा, लकड़ी-कला, पीतल/कूट कार्य, पारंपरिक वस्त्र और आधुनिक डिजाइन का मेल।
- स्टार्ट-अप और टेक-इनोवेशन: युवा-उद्यम और तकनीकी समाधान—खासकर फूड-टेक, एग्री-टेक और MSME सॉल्यूशंस।
- स्पोर्ट्स-गुड्स और मैन्युफैक्चरिंग: मेरठ, कानपुर और अन्य क्लस्टर से बने उत्पादों की विश्व स्तरीय प्रदर्शनशक्ति।
मुख्यमंत्री की भूमिका और प्रशासनिक तैयारी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘लोकल-टू-ग्लोबल’ पहल का मकसद केवल नीति-घोषणा तक नहीं बल्कि जमीन पर कार्यान्वयन भी है। प्रशासन ने प्रदर्शक-पंजीकरण, लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग-वर्कशॉप, और B2B मीटिंग-शेड्यूलिंग पर विशेष ध्यान दिया है ताकि मेले में आए विदेशी खरीदार और निवेशक सीधे छोटे उद्यमियों तक पहुँच सकें। राज्य सरकार की ओर से कट-टू-साइज़ पविलियन, ब्रांडिंग-सपोर्ट और ई-कॉमर्स कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया गया है।
स्टार्ट-अप व महिलाओं की भागीदारी — क्यों खास?
राज्य ने विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं के लिए प्लेटफॉर्म बढ़ाया है—क्योंकि लोकल-टो-ग्लोबल तभी सफल होगा जब उत्पादन का समाज-व्यापी आधार मजबूत हो। महिलाओं के युवा उद्यमियों के लिए अलग सेक्शन, स्टार्ट-अप पिच सेशन्स और माइक्रो-फाइनेंस/बिजनेस-कंसल्टिंग की गतिविधियाँ व्यवसायों को ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप तैयार करेंगी।
मेला-वाले दिन की रणनीति — सिर्फ स्टॉल नहीं, अनुभव
उत्तर प्रदेश का मकसद सिर्फ स्टॉल लगाना नहीं है; वह ‘अनुभव’ बेचना चाहता है—संपूर्ण ब्रांडिंग, लाइव-डेमो, कुकिंग/हैंडिक्राफ्ट शोज, B2B मीट्स, और नीति-डायलॉग्स। ऐसा होने पर खरीदार सिर्फ खरीदारी नहीं करेगा, बल्कि लंबे समय का व्यापारिक रिश्ता बनाएगा।

लॉजिस्टिक्स, प्रशिक्षण और ‘थिंक ग्लोबल’ तैयारी
प्रदर्शकों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए राज्य ने ट्रेनिंग-सत्र आयोजित किए होंगे — जैसे पैकेजिंग, क्वालिटी-कंट्रोल, इंटरनेशनल कमर्शियल टर्म्स (INCOTERMS) की बेसिक जानकारी, और डिजिटल-पेमेंट/लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी। मैनेजमेंट-टिप्स, B2B प्रोटोकॉल, और खरीदारों के साथ प्री-शेड्यूल मीटिंग्स से प्रदर्शन का असर बढ़ता है।
मेला खत्म होने के बाद — असली चुनौती: अनुवर्ती कार्रवाई (Follow-up)
मिला-किस्सा तभी सफल होगा जब मेला के बाद अनुवर्ती कार्रवाई प्रभावी हो। प्रदर्शकों के लिए लेड-नरचरिंग, विदेशी खरीदारों के साथ लॉन्ग-टर्म करार, और स्थानीय-क्लस्टर में निवेश-इंटिग्रेशन की आवश्यकता होगी। यूपी सरकार के लिए KPI यह होना चाहिए: कितने ब्रोकरेज/एमोयू में बदलते हैं, कितनी निर्यात डील्स से वास्तविक आय बढ़ती है, और कितने स्थानीय उद्यम वैश्विक चैनल से जुड़ पाते हैं।
किस तरह नापे सफलता को — मापन मानदंड
- मेले में हुए B2B मीटिंग्स की संख्या और गुणवत्ता
- मेलों के बाद साइन होने वाले MoU और डील्स का वास्तविक क्रियान्वयन
- निर्यात में वृद्धि और नए बाजारों में प्रवेश
- स्थानीय उद्यमियों के वित्त-सक्षम होने तथा तकनीकी सशक्तिकरण की घटना
- ODOP उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर ब्रांडिंग और बिक्री
चुनौतियाँ और जोखिम
हर भव्य योजना के साथ चुनौतियाँ भी आती हैं:
- प्रस्तुति-गुणवत्ता: हजारों प्रदर्शक में से अगर बहुत से स्टॉल्स व्यावसायिक रूप से तैयार नहीं होंगे तो छवि प्रभावित हो सकती है।
- लॉजिस्टिक्स और समयबद्धता: माल की समय पर ट्रांसपोर्ट/ऑन-साइट सेट-अप में देरी लगे तो अवसर चरा सकते हैं।
- अनुवर्ती तंत्र की कमी: मेलों के बाद मिलने वाली लीड्स को संभालने के लिए फॉलो-अप-इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद जरूरी है।
- मूल्यांकन-पारदर्शिता: शो-डॉन के बाद जो आंकड़े जारी होते हैं, वे कैसे सत्यापित होंगे — यह भी महत्वपूर्ण है।
यूपी के लिए दीर्घकालिक रणनीतियाँ (Long-term playbook)
IITF जैसे मेलों का सही इस्तेमाल तभी होगा जब यूपी इन्हें एक-दो दिन के घटनाओं से हटाकर लंबे अभियान में बदले:
- एकीकृत एक्सपोर्ट-हब: ODOP-केंद्रों को निर्यात-क्लस्टर में बदलना।
- डिजिटल मार्केटिंग तथा ई-कॉम कनेक्टिविटी: मेले में मिले खरीदारों को ऑनलाइन शॉप/बिक्री-पोर्टल से जोडना।
- कौशल-विकास: पैकेजिंग, गुणवत्ता मानक और निर्यात प्रोसेस पर निरंतर प्रशिक्षण।
- फॉलो-अप इनिशिएटिव: ‘पोस्ट-IITF फेयर-केयर’ टीम जो मेल के बाद 6-12 महीने तक बिजनेस को नर्स करे।
- स्थायी ब्रांडिंग: ‘Brand UP’ के तहत निरंतर प्रचार, रोड-शो और डिजिटल कैंपेन।
निष्कर्ष — क्या यह यूपी के लिए गेम-चेंजर होगा?
संक्षेप में — हाँ, अगर यूपी ने इस मंच का सही उपयोग किया और मेलों के बाद मिलने वाली संभावनाओं का व्यवस्थित रूप से पीछा किया। 2,750+ प्रदर्शक केवल संख्या नहीं, बल्कि अवसरों का जाल है। ‘लोकल-टू-ग्लोबल’ तभी सार्थक होगा जब ODOP के हस्त-शिल्प से लेकर आधुनिक स्टार्ट-अप तक, सबको वास्तविक वैश्विक चैनल मिलने लगे। इस मेले का प्रभाव केवल एक इवेंट तक सीमित रहने की बजाय दीर्घकालिक रूप से यूपी की अर्थव्यवस्था और ब्रांडिंग को बदलने की क्षमता रखता है।
FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: IITF 2025 कब और कहाँ हो रहा है?
A: IITF 2025 दिल्ली में आयोजित है—आयोजन के तिथि-विवरण आयोजक की ऑफिसियल साइट पर उपलब्ध हैं। :contentReference[oaicite:8]{index=8}
Q2: 2,750+ प्रदर्शक का आँकड़ा आधिकारिक है क्या?
A: विभिन्न रिपोर्टों में संख्या 2,250-2,750+ के दायरे में बताई गई है; राज्य-आयोजक और मीडिया ने बड़े लक्ष्यों का जिक्र किया है—महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सहभागिता व्यापक है और ODOP सहित कई क्लस्टर्स को अच्छा प्लेटफॉर्म मिला है। :contentReference[oaicite:9]{index=9}
Q3: छोटे-उद्यमी किस तरह से फायदा उठा सकते हैं?
A: प्रदर्शक-पैनल्स, B2B मीटिंग्स, अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के साथ पिच सेशन्स और पोस्ट-फेयर सपोर्ट के जरिए छोटे उद्यम निर्यात और निवेश के अवसर पा सकते हैं।
Q4: ‘लोकल-टू-ग्लोबल’ अभियान का सबसे बड़ा लाभ क्या होगा?
A: दीर्घकालिक लाभ में निर्यात-वृद्धि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्तिकरण, रोजगार व ब्रांड-मान्यता शामिल है।
लेख समाप्त — IndiaAkhbar News Desk
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