इस्लामाबाद/मीरपुर: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में माहौल गर्म है। यूनिवर्सिटी फीस में बढ़ोतरी, एग्ज़ाम रिज़ल्ट में गड़बड़ी और शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार के आरोपों से भड़की चिंगारी अब सरकार और सेना के खिलाफ़ व्यापक जनआवाज़ में बदलती दिख रही है। Gen-Z के नेतृत्व में छात्रों और युवाओं का यह विरोध कैंपस की दीवारों से निकलकर सड़कों, बाज़ारों और सोशल मीडिया तक फैल चुका है।
कैसे शुरू हुआ PoK का छात्र आंदोलन?
शुरुआत यूनिवर्सिटी फीस में अचानक बढ़ोतरी, हिडन चार्जेस और एग्ज़ाम इवैल्यूएशन की पारदर्शिता पर सवालों से हुई। revaluation प्रक्रियाएँ महंगी/धीमी बताई गईं और रिज़ल्ट में “marked absent” या “mismatch” जैसी शिकायतें भी चर्चा में रहीं। कैंपस-केंद्रित मांगें सुनवाई के इंतज़ार में अटकी रहीं तो असंतोष सड़कों पर आ गया।

आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है?
नेतृत्व छात्र संघों और सोशल-मीडिया-एक्टिव युवा समूहों के हाथ में है। कई जगहों पर इसे स्थानीय, पार्टी-न्यूट्रल और राइट्स-फोकस्ड मूवमेंट बताया गया—जहाँ फ़ैसले खुले मंच, cloud docs और community meetings में लिए जा रहे हैं।
हैशटैग्स जैसे #PoKProtest, #StudentsForAzadi और #GenZVoices पर वीडियोज़/थ्रेड्स trend करते रहे—एक ही मैसेज: “No opacity, only accountability.”
कहां-कहां तक पहुँचा विरोध?
- मुजफ्फराबाद: कैंपस बंद, जुलूस और शांतिपूर्ण धरने।
- मीरपुर: प्रशासनिक भवनों के बाहर प्रदर्शन; ट्रैफिक प्रभावित।
- कोटली: सरकारी वाहनों को रोके जाने की खबरें; नारेबाज़ी तेज़।
- रावलकोट: स्थानीय दुकानदारों/महिलाओं का समर्थन; सप्लाई और इंटरनेट कट की शिकायतें।
सरकार/सेना की प्रतिक्रिया: संवाद बनाम सख्ती
स्थानीय प्रशासन की प्राथमिकता कानून-व्यवस्था और शांति बताई गई। कहीं बातचीत की कोशिशें, तो कहीं कथित प्रतिबंध/ग्रिफ़्तारियाँ—नेटबंदी जैसी खबरें भी सामने आईं। बड़ा सवाल: घोषणाएँ बनाम डिलीवरी। युवाओं को टाइम-स्टैम्प्ड सुधार चाहिए—“कब तक, कैसे, कौन जवाबदेह?”
छात्रों की मुख्य मांगें
1) Fee & Exam Reforms
- फीस कटौती/फ्रीज़ + means-tested waivers
- Revaluation ≤ 10 कार्यदिवस; ट्रैकिंग पोर्टल
- Double-blind evaluation + random audits
2) Scholarships & Welfare
- यूनिफाइड scholarship पोर्टल (real-time status)
- Hostel/meal/transport subsidies
- Mental-health counsellors व सुरक्षित कैंपस
3) Jobs & Skills
- Industry-linked curricula + apprenticeships
- Placement MoUs; local SMEs से टाई-अप
- Career services और internship pipelines
4) Governance & Transparency
- Open data dashboard: fees, funds, grievances
- Procurement audits; whistle-blower सुरक्षा
- Student-friendly ombudsman
सोशल मीडिया की वेव: Gen-Z का डिजिटल प्लेबुक
Gen-Z की ताकत real-time coordination और evidence-first नैरेटिव है। मैसेजिंग ग्रुप्स में decentralized squads, cloud-based demand charters, press kits और fact-checks—सब कुछ DIY, agile और डॉक्यूमेंटेड।
- Safety: live location, safe routes, legal helplines
- Comms: bilingual media notes, myth-busting threads
- Proof: fee receipts, result anomalies के screenshots
- Well-being: medical desks, women-led safety squads
आर्थिक बदहाली और बेरोज़गारी
युवाओं का तर्क है कि रोज़गार अवसर सीमित हैं और स्किल-गैप बड़ा है। Education-to-Employment pipeline कमजोर लगती है—industry-academia bridges और apprenticeships पर ज़ोर इसलिए बढ़ा है।
कुल मिलाकर मैसेज स्पष्ट: “डिग्री से ज़्यादा deliverable skills और placement pathways चाहिए।”
हेल्थकेयर व एजुकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर
छात्र welfare की रोज़मर्रा ज़रूरतें—क्लिनिक्स, हॉस्टल सुरक्षा, sanitation—कई कैंपसों में under-resourced बताई गईं। Mental-health support को movement का अहम भाग बनाया गया—“Protest is a marathon, not a sprint।”
Timeline: कैंपस इश्यू से People’s Movement तक
- Spark: Fee hike, result irregularities—“unfair & opaque” perception।
- Mobilize: Departments → faculties → entire campuses; Reels/threads ने गति दी।
- Spillover: Corruption, unemployment, public services—issues widened.
- Flashpoints: Peaceful marches vs. clampdowns; net blocks/curbs की खबरें।
- Consolidation: Joint action committees; charters; sit-ins with welfare cells.
आगे क्या? संभावित परिदृश्य
Best-Case
Transparent fee roadmap, evaluation SOPs, scholarship expansion; 90-day milestones public dashboard पर—trust rebuild।
Middle-Path
Partial rollbacks + committees; कुछ सुधार लागू पर execution धीमा—low-intensity protests बने रहें।
Worst-Case
Delivery lag और trust erosion; academic calendar disruptions; brain-drain anxiety।
भारत का रुख
भारत बार-बार कहता रहा है कि PoK भारत का अभिन्न हिस्सा है और वहाँ के लोगों की आवाज़ पर दुनिया को ध्यान देना चाहिए। मौजूदा परिदृश्य में भारतीय विश्लेषक इसे कूटनीतिक चुनौती के रूप में देखते हैं—जहाँ गवर्नेंस और ह्यूमन-राइट्स के सवाल केंद्र में आ गए हैं।
FAQs – PoK Student Protest 2025
- 1) PoK में छात्र आंदोलन क्यों शुरू हुआ?
- यूनिवर्सिटी फीस/रिज़ल्ट विवाद से शुरू होकर यह मुद्दा एजुकेशन-गवर्नेंस की पारदर्शिता, करप्शन और बेरोज़गारी तक फैल गया।
- 2) क्या यह आंदोलन राजनीतिक है?
- लीडरशिप मुख्यतः छात्रों और युवा समूहों के हाथ में—स्थानीय अधिकारों व संस्थागत सुधारों पर फोकस।
- 3) सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही?
- कहीं संवाद/रियायतें, तो कहीं कड़े कदम/प्रतिबंध—फिक्स्ड टाइमलाइन और पब्लिक मॉनिटरिंग की माँग तेज़।
- 4) क्या यह आंदोलन PoK की आज़ादी से जुड़ा है?
- कुछ नारे आज़ादी-समर्थित रहे, पर व्यापक नैरेटिव शिक्षा/रोज़गार/गवर्नेंस सुधारों पर टिका है।
- 5) छात्रों की प्राथमिक माँगें क्या हैं?
- फीस कटौती/फ्रीज़, evaluation transparency, scholarships, स्वास्थ्य/हॉस्टल उन्नयन और स्किल-जॉब लिंक।
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