असम में हिमंत बिस्वा सरमा और गौरव गोगोई के बीच ‘वो CM के लायक नहीं’ बयान से सियासी पारा चढ़ गया है। जानिए क्या कहा दोनों नेताओं ने और किस ओर जा रही है असम की राजनीति।
Intro: असम की राजनीति इन दिनों उबाल पर है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के बीच बयानबाज़ी की जंग ने पूरे राज्य का माहौल गरमा दिया है। सरमा के “वो CM के लायक नहीं” जैसे तीखे बयान पर गौरव गोगोई ने सीधा पलटवार करते हुए कहा कि “हिमंत बिस्वा सरमा अपने पद की गरिमा भूल चुके हैं।” अब यह विवाद सिर्फ़ शब्दों की लड़ाई नहीं, बल्कि असम के सियासी भविष्य की दिशा तय करने वाली बहस बन चुका है।
• हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को “CM material नहीं” कहा।
• गौरव गोगोई का पलटवार — “सरमा जी सत्ता के नशे में लोकतंत्र भूल गए हैं।”
• असम में राजनीतिक माहौल अब चुनावी मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है।

1. विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक जनसभा में विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा — “कांग्रेस के पास अब ऐसा कोई नेता नहीं जो CM बनने लायक हो।” उन्होंने विशेष तौर पर गौरव गोगोई का नाम लेते हुए कहा, “वो CM के लायक नहीं हैं, जनता उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगी।”
सरमा का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। इसके बाद कांग्रेस ने तुरंत पलटवार किया और कहा कि “सरमा अपने अहंकार में लोकतांत्रिक मर्यादा भूल गए हैं।”
2. गौरव गोगोई का करारा जवाब
गौरव गोगोई, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे हैं, ने कहा कि “हिमंत बिस्वा सरमा खुद उस कांग्रेस की देन हैं, जिसकी अब आलोचना कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा — “वो खुद कांग्रेस के टिकट पर CM बनने के सपने देखा करते थे, लेकिन जब मौका नहीं मिला, तो उन्होंने पार्टी बदल ली।”
उन्होंने कहा कि सरमा असम की जनता की समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। “महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर जवाब देने की बजाय वो विपक्षी नेताओं पर निजी हमले कर रहे हैं,” गौरव ने कहा।
3. कांग्रेस का पलड़ा और मजबूत
गौरव गोगोई का जवाब कांग्रेस के भीतर energy booster की तरह काम कर गया। पार्टी नेताओं ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा अब असम में जनता का भरोसा खो रही है। एक कांग्रेस नेता ने कहा, “अगर कोई ‘CM material’ नहीं है, तो वो जनता तय करेगी, न कि सत्ता में बैठे लोग।”
गौरव के इस पलटवार ने विपक्षी खेमे को एकजुट करने का काम किया है। अब असम में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले माहौल और तेज होता जा रहा है।
4. हिमंत बिस्वा सरमा का इतिहास और राजनीतिक सफर
हिमंत बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर दिलचस्प रहा है। वे लंबे समय तक कांग्रेस में रहे और पूर्व CM तरुण गोगोई के करीबी माने जाते थे। लेकिन 2015 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
इसके बाद उन्होंने BJP में तेजी से जगह बनाई और 2021 में असम के मुख्यमंत्री बने। उनके तेज़-तर्रार भाषण, आक्रामक राजनीति और रणनीतिक सोच ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। मगर अब उनके हालिया बयान ने उनकी political maturity पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
5. असम की राजनीति में नया मोड़
असम की राजनीति में ये बयानबाजी इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि दोनों नेताओं का परिवारिक और राजनीतिक बैकग्राउंड बहुत मजबूत है। एक तरफ हिमंत बिस्वा सरमा खुद को “development का चेहरा” बताते हैं, वहीं गौरव गोगोई खुद को “जनता की आवाज़” कहते हैं।
राज्य के अंदर इस वाद-विवाद ने नई सियासी लाइन खींच दी है — “development vs democracy”। यानी क्या जनता सिर्फ विकास के नाम पर वोट देगी या लोकतंत्र और जवाबदेही के मुद्दों पर भी सवाल उठाएगी?
6. जनता क्या कह रही है?
सोशल मीडिया पर जनता की राय बंटी हुई है। कुछ लोग सरमा के बयान का समर्थन करते हुए कह रहे हैं — “उन्होंने सही कहा, गौरव अभी inexperienced हैं।” वहीं, बड़ी संख्या में युवा और विपक्ष समर्थक लिख रहे हैं — “वो CM बनने के लायक नहीं, ये जनता तय करेगी, कोई व्यक्ति नहीं।”
Facebook, X (Twitter) और YouTube पर “#GauravGogoi” और “#HimantaBiswaSarma” ट्रेंड करने लगे हैं। खास बात यह है कि इस विवाद ने युवा वोटर्स को भी चर्चा में खींच लिया है।
7. गौरव गोगोई की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा
गौरव गोगोई भले ही अभी राष्ट्रीय राजनीति में उतने बड़े नाम न हों, लेकिन असम में उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। उन्होंने संसद में कई बार असम से जुड़े मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया है — चाहे वह flood management हो या education reforms।
इस विवाद के बाद उनके प्रति sympathy और respect दोनों बढ़े हैं। कई analysts मान रहे हैं कि यह episode गौरव के political image को फायदा पहुँचा सकता है, खासकर युवा मतदाताओं के बीच।
8. BJP और कांग्रेस — दोनों के लिए चुनौती
यह विवाद सिर्फ दो नेताओं तक सीमित नहीं है। भाजपा के लिए चुनौती यह है कि उसे aggressive politics और governance के बीच balance बनाना होगा। वहीं कांग्रेस के लिए चुनौती है कि वह इस momentum को ground level पर votes में कैसे बदलती है।
Political experts का कहना है कि आने वाले महीनों में असम की राजनीति और गर्म होगी, और दोनों पार्टियाँ इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेंगी।
9. विपक्ष की एकजुटता की संभावना
इस विवाद का एक बड़ा असर यह भी है कि असम में विपक्षी दल अब BJP के खिलाफ एक common platform पर आने की कोशिश कर रहे हैं। Trinamool Congress और AAP ने भी हिमंत बिस्वा सरमा के बयान की आलोचना की है। इससे साफ है कि असम में 2026 का चुनाव “one vs all” वाला मुकाबला बन सकता है।
10. राजनीतिक पारा चरम पर
राज्य की राजधानी दिसपुर और गुवाहाटी में इस बयानबाज़ी ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। Ground reports के मुताबिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच बहस का दौर चल रहा है। News channels और सोशल मीडिया पर ये बयान हर तरफ गूंज रहा है — “वो CM के लायक नहीं।”
यह मामला जितना व्यक्तिगत लगता है, उतना ही रणनीतिक भी है। दोनों नेता जानते हैं कि यह जंग सिर्फ शब्दों की नहीं, बल्कि 2026 की कुर्सी की जंग है।
असम की सियासत में अब हर बयान चुनावी असर रखता है। “वो CM के लायक नहीं” जैसे शब्द अब political weapon बन चुके हैं। आने वाले महीनों में यह विवाद और बड़ा रूप ले सकता है।

FAQs — इस विवाद को लेकर आम सवाल
Q1: विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
Ans: सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने एक rally में गौरव गोगोई को “CM material नहीं” कहा, जिसके जवाब में गौरव ने पलटवार किया।
Q2: क्या गौरव गोगोई CM उम्मीदवार हैं?
Ans: कांग्रेस ने अभी किसी CM उम्मीदवार की घोषणा नहीं की, लेकिन गौरव गोगोई को भविष्य का चेहरा माना जा रहा है।
Q3: क्या इससे असम में चुनावी माहौल बनेगा?
Ans: हाँ, इस बयानबाज़ी से पहले ही असम का सियासी तापमान बढ़ गया है और यह आने वाले चुनावों पर असर डाल सकता है।
Q4: जनता किसे सही मान रही है?
Ans: जनता की राय बंटी हुई है — कुछ सरमा का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कई लोग गौरव की विनम्रता और जवाब को सराह रहे हैं।
Final Verdict
असम की राजनीति इस वक्त उफान पर है। “वो CM के लायक नहीं” से शुरू हुई यह जुबानी जंग अब भविष्य की सियासत की दिशा तय करेगी। एक तरफ BJP का मजबूत संगठन और नेतृत्व है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के पास गौरव गोगोई जैसे युवा चेहरे हैं जो नई सोच और ऊर्जा के प्रतीक हैं।
अब देखना यह होगा कि जनता किसे अपना सच्चा नेता मानती है — “आक्रामक शासक” या “संवेदनशील जनप्रतिनिधि”। पर इतना तय है कि असम की सियासत में अगले कुछ महीने बेहद गर्म रहने वाले हैं।

