तेजस्वी यादव बोले – अब वक्त है बदलाव का
Grand Alliance Manifesto 2025 घोषणा पत्र जारी करते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। “हमने यह घोषणा पत्र नहीं बल्कि बिहार के भविष्य का वचन पत्र जारी किया है।” तेजस्वी ने कहा कि पिछले 18 वर्षों में राज्य विकास से ज्यादा पलायन का केंद्र बन गया है। अब समय है शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का।
उन्होंने कहा, “हम बिहार को ऐसा राज्य बनाना चाहते हैं जहाँ युवाओं को रोज़गार के लिए दिल्ली या मुंबई भागना न पड़े। हमारी सरकार बनने पर हर जिला आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाएगा।”

घोषणा पत्र की 10 बड़ी बातें
महागठबंधन के इस घोषणा पत्र में युवाओं, किसानों, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों को ध्यान में रखते हुए कई अहम वादे किए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- 1. हर जिले में एक मेगा एम्प्लॉयमेंट हब की स्थापना।
- 2. राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की व्यवस्था।
- 3. बेरोजगारी भत्ता ₹2000 प्रति माह तक बढ़ाने का वादा।
- 4. किसानों को फ्री बिजली और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद सुनिश्चित।
- 5. छात्राओं के लिए फ्री बस यात्रा और स्नातक तक मुफ्त शिक्षा।
- 6. नई औद्योगिक नीति – बिहार में 10 लाख नए रोजगार सृजित करने का लक्ष्य।
- 7. पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों का आधुनिकीकरण।
- 8. ‘बेटी सुरक्षा कोष’ की स्थापना।
- 9. सरकारी नौकरियों में खाली पदों की तुरंत बहाली।
- 10. भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का वादा।
महागठबंधन के नेताओं की उपस्थिति में हुआ विमोचन
इस अवसर पर कांग्रेस, वामदलों और अन्य सहयोगी दलों के नेता भी मंच पर मौजूद रहे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, “यह गठबंधन सिर्फ चुनावी नहीं, वैचारिक गठबंधन है। हमारा लक्ष्य बिहार को नए भारत का प्रतीक बनाना है।”
सीपीआई नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा, “हम गरीबों, मजदूरों और किसानों की आवाज़ को विधानसभा तक पहुंचाने के लिए इस गठबंधन का हिस्सा बने हैं।”
एनडीए पर तेजस्वी का हमला
घोषणा पत्र जारी करने के दौरान तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि “पिछली सरकार ने सिर्फ घोषणाएं कीं, धरातल पर कुछ नहीं उतरा। आज भी बिहार बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए के शासन में युवाओं को नौकरी के बजाय “भ्रम” और किसानों को “धोखा” मिला।
लोगों की उम्मीदें और राजनीतिक माहौल
महागठबंधन के घोषणा पत्र के बाद बिहार की राजनीति में नई हलचल मच गई है। युवा वर्ग और छात्रों के बीच तेजस्वी यादव की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। वहीं एनडीए की ओर से भी जल्द ही अपना घोषणा पत्र जारी करने की संभावना जताई जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि “नाम तेजस्वी का प्रण” नामक घोषणा पत्र एक भावनात्मक और रणनीतिक कदम है, जो बिहार की जनता को सीधा संदेश देता है – अब बदलाव का समय आ गया है।
महागठबंधन के चुनावी समीकरण: Grand Alliance Manifesto
इस बार महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई(एमएल), सीपीआई और सीपीएम शामिल हैं। सीटों का बंटवारा पहले ही तय हो चुका है, जिसमें आरजेडी को सबसे अधिक सीटें मिली हैं।
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव को गठबंधन का चेहरा बनाया गया है और उनके नेतृत्व में महागठबंधन इस चुनाव में उतर रहा है।
घोषणा पत्र की भाषा और रणनीति
‘नाम तेजस्वी का प्रण’ नामक घोषणा पत्र में पहली बार ऐसी भाषा का प्रयोग किया गया है जो आम जनता के दिल से जुड़ती है। इसमें हर वर्ग को संबोधित करते हुए कहा गया है – “हम वादा नहीं, प्रण करते हैं।”
विशेष रूप से किसानों, शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों से जुड़े मुद्दों को इसमें प्रमुखता दी गई है।

जनता की प्रतिक्रिया: Grand Alliance Manifesto
सोशल मीडिया पर महागठबंधन के घोषणा पत्र को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे “यथार्थवादी विजन” बता रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे “चुनावी जुमला” कह रहे हैं।
हालांकि, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में युवाओं की जोड़ी बन रही है, उसने बिहार की राजनीतिक दिशा को फिर से चर्चा में ला दिया है।
निष्कर्ष: Grand Alliance Manifesto
अब देखने वाली बात यह होगी कि महागठबंधन का यह घोषणा पत्र बिहार के मतदाताओं को कितना प्रभावित करता है। एनडीए और महागठबंधन के बीच इस बार मुकाबला सीधा और रोमांचक होने वाला है।
बिहार की जनता अब यह देखना चाहती है कि कौन-सा गठबंधन वास्तव में उनके मुद्दों को प्राथमिकता देगा — और कौन सिर्फ चुनावी वादों में उलझा रहेगा।
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